ध्यान (Meditation) कैसे करें.
अवसाद (Anxiety), तनाव (Stress), अप्रसन्नता मन में चल रहे उथल-पुथल जिसके कारण निजी जिंदगी में अव्यस्तता महसूस होती है जिसका एक ही इलाज है "ध्यान(मेडिटेशन)" इसके कई फायदे हैं जिससे मानसिक शांति, प्रसन्नता, सुकून, आत्मिक निर्भरता इनसे जीवन में आनंद छा जाता है। ये आज के मानवीय जीवन का हिस्सा होना चाहिए। अगर सुन्दर रूप में ध्यान को परिभाषित किया जाये तो कहा जा सकता है "अंतरात्मा की शुद्धता करना या आत्मशुद्धि करना"
जैसा कि हम सबने सुना है ब्रह्म मुहूर्त में ध्यान में बैठना चाहिये क्योंकि मेडिटेशन का सबसे अच्छा समय तब है जब वातावरण में शांति और सकारात्मक ऊर्जा उच्च हो और प्राताकाल 3 से 5 का समय ही ब्रह्म मुहूर्त कहलाता हैं।
• ध्यान या मेडिटेशन स्थिरिता का रुप है या इस तरह बोलें कि स्थिर (Stable) बैठे रहने को ही ध्यान कहते हैं।
• स्थिरता भी शांत रहने से आती हैं, जब हमारा मन (चित्त) अन्दर से शांत होता है तब ही ध्यान लगता है।
• एकाग्र बैठकर ही ध्यान में मन लगता है। सही मायने में एकाग्रता ही मन को स्थिर करती हैं।
• मौन रहने से ही मन सधता है केवल वाणी से उतना बोलना जितना आवश्यक हो। मौन से ही मन शांत, एकाग्र और स्थिर होता है।
ध्यान एक साधना है जिसमें आत्मा का परमात्मा से मिलन है। सच कहूं तो यह कभी भी की जाने वाली क्रिया है जब आप सहज महसूस करें तो शांति से एक स्थान में स्थिर होकर बैठ जाइये एकाग्र मन से अपना ध्यान अपनी भृकुटि के बीच लाएं और कुछ देर सहज और स्थिर बैठें, आप खुद में ऊर्जावान महसूस करेंगें। इसी क्रिया को निरन्तर अभ्यास में लाने और दोहराते रहने से ध्यान के समय को बढ़ा सकेंगे और इसके लाभ महसूस कर सकेंगे।
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